Gulzar Shayari in Hindi

Gulzar Shayari in Hindi

Gulzar Shayari in Hindi : गलज़ार! ये नाम ही अपने आप में दिल को छू लेने वाले शेरों और गहरी कहानियों की ख़ुशबू बिखेर देता है. Hindi Shayari की दुनिया में वो एक किंवदंती हैं, जिनके शब्द पीढ़ियों को पार कर के आज भी उसी तरह से दिलों में बसते हैं और उनकी गहराई और सादगी से हर कोई प्रभावित होता है. इस ब्लॉग पोस्ट में, हम Gulzar Shayari के जादू को खोजने की यात्रा पर निकलते हैं. हम उनकी बेमिसाल शैली, बार-बार आने वाले विषयों और उर्दू और हिंदी साहित्य पर उनके अमिट छाप को गहराई से जानने का प्रयास करेंगे.

गुलज़ार साहब एक महान लेखक हैं. उनके द्वारा लिखी शायरी, ग़ज़ल दिल को छू जाती है, यहाँ पर हमने ऐसी ही गुलज़ार साहब के द्वारा लिखी हुई कुछ लोकप्रिय Gulzar Shayari को एकत्रित किया है जो आपको बहुत पसंद आएँगी।

Gulzar Shayari in Hindi

Best Gulzar Shayari

तुमको ग़म के ज़ज़्बातों से उभरेगा कौन,
ग़र हम भी मुक़र गए तो तुम्हें संभालेगा कौन!

आँखों से आँसुओं के मरासिम पुराने हैं
मेहमाँ ये घर में आएँ तो चुभता नहीं धुआँ.

इश्क़ की तलाश में
क्यों निकलते हो तुम,
इश्क़ खुद तलाश लेता है
जिसे बर्बाद करना होता है।

मैं हर रात सारी ख्वाहिशों को खुद से पहले सुला देता,
हूँ मगर रोज़ सुबह ये मुझसे पहले जाग जाती है।

वो मोहब्बत भी तुम्हारी थी नफरत भी तुम्हारी थी,
हम अपनी वफ़ा का इंसाफ किससे माँगते..
वो शहर भी तुम्हारा था वो अदालत भी तुम्हारी थी.

यूँ भी इक बार तो होता कि समुंदर बहता
कोई एहसास तो दरिया की अना का होता.

वो शख़्स जो कभी
मेरा था ही नही,
उसने मुझे किसी और का भी
नही होने दिया.

ज़िंदगी यूँ हुई बसर तन्हा,
क़ाफ़िला साथ और सफ़र तन्हा.

आप के बाद हर घड़ी हम ने
आप के साथ ही गुज़ारी है.

वक़्त रहता नहीं कहीं टिक कर,
आदत इस की भी आदमी सी है.

बेशूमार मोहब्बत होगी उस बारिश की बूँद को इस ज़मीन से,
यूँ ही नहीं कोई मोहब्बत मे इतना गिर जाता है!

दिन कुछ ऐसे गुज़ारता है कोई
जैसे एहसान उतारता है कोई.

तुम्हे जो याद करता हुँ, मै दुनिया भूल जाता हूँ,
तेरी चाहत में अक्सर, सभँलना भूल जाता हूँ.

तन्हाई अच्छी लगती है
सवाल तो बहुत करती पर,.
जवाब के लिए
ज़िद नहीं करती..

बहुत अंदर तक जला देती हैं,
वो शिकायते जो बया नहीं होती.

मैं दिया हूँ! मेरी दुश्मनी तो सिर्फ अँधेरे से हैं,
हवा तो बेवजह ही मेरे खिलाफ हैं.

Beautiful Gulzar Shayari lyrics

काँच के पीछे चाँद भी था और काँच के ऊपर काई भी
तीनों थे हम वो भी थे और मैं भी था तन्हाई भी.

जब भी आंखों में अश्क भर आए
लोग कुछ डूबते नजर आए
चांद जितने भी गुम हुए शब के
सब के इल्ज़ाम मेरे सर आए.

भरे हैं रात के रेज़े कुछ ऐसे आँखों में,
उजाला हो तो हम आँखें झपकते रहते हैं.

खुली किताब के सफ़्हे उलटते रहते हैं
हवा चले न चले दिन पलटते रहते है.

एक बार जब तुमको बरसते पानियों के पार देखा था
यूँ लगा था जैसे गुनगुनाता एक आबशार देखा था
तब से मेरी नींद में बसती रहती हो
बोलती बहुत हो और हँसती रहती हो.

चंद उम्मीदें निचोड़ी थीं तो आहें टपकीं,
दिल को पिघलाएँ तो हो सकता है साँसें निकलें.

शाम से आँख में नमी सी है
आज फिर आप की कमी सी है.

वक्त कटता भी नही
वक्त रुकता भी नही
दिल है सजदे में मगर
इश्क झुकता भी नही.

वो उम्र कम कर रहा था मेरी
मैं साल अपने बढ़ा रहा था.

ये शुक्र है कि मिरे पास तेरा ग़म तो रहा,
वगर्ना ज़िंदगी भर को रुला दिया होता.

जिन दिनों आप रहते थे,
आंख में धूप रहती थी
अब तो जाले ही जाले हैं,
ये भी जाने ही वाले हैं.

कल का हर वाक़िआ तुम्हारा था
आज की दास्ताँ हमारी है

काई सी जम गई है आँखों पर
सारा मंज़र हरा सा रहता है

जबसे तुम्हारे नाम की
मिसरी होंठ लगाई है
मीठा सा गम है,
और मीठी सी तन्हाई है.

रुके रुके से क़दम रुक के बार बार चले,
क़रार दे के तिरे दर से बे-क़रार चले.

गुलज़ार शाहब की शायरी इन हिंदी

आइना देख कर तसल्ली हुई
हम को इस घर में जानता है कोई.

जिसका हक है उसे ही मिलेगा,
इश्क पानी नही जो सबको पिला दें.

तुम्हारी ख़ुश्क सी आँखें भली नहीं लगतीं
वो सारी चीज़ें जो तुम को रुलाएँ, भेजी हैं.

तिनका सा मै और समुंदर सा इश्क,
डूबने का डर और डुबाना ही इश्क.

हाथ छूटें भी तो रिश्ते नहीं छोड़ा करते
वक़्त की शाख़ से लम्हे नहीं तोड़ा करते

बातों से सीखा है हम ने
आदमी को पहचानने का फन
जो हल्के लोग होते हैं
हर वक़्त बातें भारी भारी करते हैं.

ज़मीं सा दूसरा कोई सख़ी कहाँ होगा
ज़रा सा बीज उठा ले तो पेड़ देती है.

वो सफर बचपन के अब तक
याद आते हैं मुझे,
सुबह जाना हो कहीं तो
रात भर सोते नही थे..!

उठाए फिरते थे एहसान जिस्म का जाँ पर
चले जहाँ से तो ये पैरहन उतार चले.

देर से गूँजते हैं सन्नाटे,
जैसे हम को पुकारता है कोई.

दिन कुछ ऐसे गुज़ारता है कोई,
जैसे एहसाँ उतारता है कोई.

Gulzar Shayari In Hindi Images Download

सहर न आई कई बार नींद से जागे
थी रात रात की ये ज़िंदगी गुज़ार चले.

अपने माज़ी की जुस्तुजू में बहार,
पीले पत्ते तलाश करती है.

गुस्सा भी क्या करूं तुम पर
तुम हंसते हुए बेहद अच्छे लगते हो !

कोई न कोई रहबर रस्ता काट गया
जब भी अपनी रह चलने की कोशिश की.

ख़ुशबू जैसे लोग मिले अफ़्साने में,
एक पुराना ख़त खोला अनजाने में.

दोस्ती रूह में उतरा हुआ
रिश्ता है साहब,
मुलाकातें कम होने से
दोस्ती कम नही होती.

तुम्हारे ख़्वाब से हर शब लिपट के सोते हैं,
सज़ाएँ भेज दो हम ने ख़ताएँ भेजी हैं.

कितनी लम्बी ख़ामोशी से गुज़रा हूँ
उन से कितना कुछ कहने की कोशिश की.

मुकम्मल इश्क से ज्यादा तो चर्चे
अधूरी मोहब्बत के होते हैं !

हम ने अक्सर तुम्हारी राहों में,
रुक कर अपना ही इंतिज़ार किया.

कोई अटका हुआ है पल शायद
वक़्त में पड़ गया है बल शायद

आ रही है जो चाप क़दमों की
खिल रहे हैं कहीं कँवल शायद.

इतने बुरे नही थे
जितने इल्ज़ाम लगाए लोगों ने,
कुछ किस्मत खराब थी
कुछ आग लगाई लोगों ने.

जिस की आँखों में कटी थीं सदियाँ,
उस ने सदियों की जुदाई दी है.

Gulzar Quotes In Hindi, गुलज़ार कोट्स इन हिंदी

बिगड़ैल हैं ये यादे,
देर रात को टहलने निकलती हैं।

दिल अगर है तो
दर्द भी होंगा ,
इसका शायद कोई
हल नहीं है।

तमाशा जिंदगी का हुआ,
कलाकार सब अपने निकले !

उसने कागज की कई कश्तिया पानी उतारी और,
ये कह के बहा दी कि समन्दर में मिलेंगे.

धीरे-धीरे ज़रा दम लेना
प्यार से जो मिले गम लेना
दिल पे ज़रा वो कम लेना.

कभी जिंदगी एक पल में गुजर जाती हैं,
और कभी जिंदगी का एक पल नहीं गुजरता.

इश्क अधूरा रह जाए
तो खुद पर नाज करना कहते है
सच्ची महोब्बत मुकम्मल नहीं होती.

किसी ने मुझसे पूछा की
दर्द की कीमत क्या है.?
मैंने कहा, मुझे नही पता
मुझे लोग फ्री में दे जाते हैं !

रोई है किसी छत पे, अकेले ही में घुटकर,
उतरी जो लबों पर तो वो नमकीन थी बारिश.

जीना भूले थे कहां याद नहीं!
तुमको पाया है जहाँ
सांस फिर आई वहीं.

उनकी ना थी कोई खता
हम ही गलत समझ बैठे
वो मोहब्बत से बात करते थे
हम मोहब्बत समझ बैठे !

Gulzar Shayari On Zindagi

बेहिसाब हसरते ना पालिये,
जो मिला हैं उसे सम्भालिये.

वो चीज जिसे दिल कहते हे,
हम भूल गए है रख कर कही !!

तुम्हारी आदत सी
हो गई थी हमें,
मालूम तो हमे भी था कि
तुम नसीब में नही हो.

हम तो समझे थे कि हम भूल गए हैं उनको,
क्या हुआ आज ये किस बात पे रोना आया?

शोर की तो उम्र होती हैं,
ख़ामोशी तो सदाबहार होती हैं।

जाने कैसे बीतेंगी ये बरसातें
माँगें हुए दिन हैं, माँगी हुई रातें.

फिक्र है इज्जत की तो
मोहब्बत छोड़ दो जनाब,
आओगे इश्क की गली में
तो चर्चे जरूर होंगे..!!

अब मत मिलना
तुम दोबारा मुझे,
वक़्त बहुत लगा है
खुद को संभालने में..!!

कहने को तो बस
बातें हो जाती हैं,
पर दिल खोलकर बात किए हुए
जमाना हो गया.

उम्र तो हैं मुठ्ठी में फिसलती रेत सी ,
पकड़ा इसे किसने भला ,
जियो जो हर पल इसे भरपूर ,
तो फिर जिंदगी गुलजार है !

Gulzar Shayari On love

बड़ी मुददत से मिलता है
बड़ी शिददत से चाहने वाला.

तुजे पाने की जिद थी
अब भुलाने का ख्वाब है,
ना जिद पूरी हुई और
ना ही ख्वाब.

हर कोई परेशान है
मेरे कम बोलने से,
और मै परेशान हूं
अपने अंदर के शोर से..!!

काश कोई हमें भी ऐसा चाहे
जैसे कोई तकलीफ में
सुकून चाहता है.

बड़ी मुददत से मिलता है
बड़ी शिददत से चाहने वाला.

लौटने का ख्याल भी आए
तो बस चले आना
इन्तजार आज भी बड़ी
बेसबरी से है तुम्हारा.

हम चाय पीकर
कुल्हड़ नहीं तोड़ पाते
दिल तो खैर
बहुत दूर की बात है.

कयामत तक याद करोगे
किसी ने दिल लगाया था,
एक होने की उम्मीद भी न थी
फिर भी पागलों की तरह चाहा था।

हम ने अक्सर तुम्हारी
राहों में रुक कर
अपना ही इंतिज़ार किया।

छोड़ दो ये बहाने
जो तुम करते हो,
हमें भी अच्छे से मालूम है
मज़बूरियाँ तभी आती हैं
ज़ब दिल भर गया हो.

Gulzar Shayari Words On Dosti

नही करता मै तेरा जिक्र
किसी तीसरे से,
तेरे बारे में बात सिर्फ
खुदा से होती है।

तकलीफ़ ख़ुद की कम हो गयी,
जब अपनों से उम्मीद कम हो गईं.

इस दौर के लोगो में वफ़ा ढूंढ रहे हो
बड़े नादान हो साहब
ज़हर की शीशी में दवा ढूंढ रहे हो.

ठुकराया हमने भी है
बहुतों को तेरे खातिर
तुझसे फासला भी शायद
उनकी बद्दुआओं का असर है।

जो हमारे जज्बातो
की कद्र नही कर सकते,
उनके पीछे पागल होना
प्यार नहीं बेवकूफ़ी है.

जो बीत गया है वो अब दौर न आएगा,
इस दिल में सिवा तेरे कोई और न आएगा,
घर फूंक दिया हमने, अब राख उठानी है,
जिंदगी और कुछ नही, तेरी मेरी कहानी है।

दर्द भी वही देते हैं
जिन्हे हक़ दिया जाता है,
वरना गैर तो धक्का लगने पर
भी माफ़ी मांग लिया करते हैं।

मोहब्बत में अक्सर ऐसा होता है,
पूरी दुनिया से लड़ने वाला इंसान
अपने मन पसंद इंसान से हार जाता है।

खुशियाँ चाहे
किसी के साथ भी बाँट ले पर
अपने गम किसी
भरोसेमंद के साथ ही बांटने चाहिए.

Gulzar Shayari Sad

ये तो दस्तूर है
जो जितने पास है
वो उतना ही दूर है.

कैसे करें हम ख़ुद को तेरे प्यार के काबिल,
जब हम बदलते हैं, तुम शर्ते बदल देते हो.

बस इतना सा असर होगा
हमारी यादों का,
की कभी कभी तुम बिना
बात के मुस्कुराओगे.

उम्मीद तो नही फिर भी उम्मीद हो
कोई तो इस तरह आशिक़ शहीद हो.

ख़ुशबू जैसे लोग मिले अफ़्साने में,
एक पुराना ख़त खोला अनजाने में.

मुझे मालूम था कि वो
मेरा हो नही सकता,
मगर देखो मुझे फिर भी
मोहब्बत हो गई उससे.

अपनी पीठ से निकले
खंजरों को जब गिना मैंने
ठीक उतने ही निकले
जितनो को गले लगाया था !

महोब्बत अपनी जगह,
नफरत अपनी जगह
मुझे दोनो है तुमसे .

एक ही ख़्वाब ने सारी रात जगाया है,
मैं ने हर करवट सोने की कोशिश की.

जो हैरान हैं मेरे सब्र पर
उनसे कह दो जो आंसू जमीन पर
नहीं गिरते वो दिल चीर देते हैं.

एक बीते हुए रिश्ते की
एक बीती घड़ी से लगते हो
तुम भी अब अजनबी से लगते हो.

मेरी आंखों ने पकड़ा है
उन्हें कई बार रंगे हाथ
वो इश्क करना तो चाहते हैं
मगर घबराते बहुत हैं !

कभी इसका दिल रखा
कभी उसका दिल रखा
इस कशमकश में भूल गए
खुद का दिल कहां रखा.

Gulzar Shayari On Life In Hindi
खफा ज़िन्दगी गुलज़ार कोट्स

सफर छोटा ही सही
पर यादगार होना चाहिए,
रंग सांवला ही सही
पर वफादार होना चाहिए..

मैंने दबी आवाज़ में पूछा? मुहब्बत करने लगी हो?
नज़रें झुका कर वो बोली! बहुत.

लगता है जिंदगी
आज खफा है,
चलिए छोड़िए
कौनसी पहली दफा है !

बड़े बेताब थे वो
मोहब्बत करने को हमसे
जब हमने भी कर ली तो
उनका शौक बदल गया !

कभी जिंदगी एक पल में गुजर जाती हैं,
और कभी जिंदगी का एक पल नहीं गुजरता.

हमेशा से तो नही रहा होगा
तू भी सख्त दिल
तेरी भी मासूमियत से भी
किसी ने खेला होगा !!

एक बार तो यूँ होगा, थोड़ा सा सुकून होगा,
ना दिल में कसक होगी, ना सर में जूनून होगा।

मैं हर रात सारी ख्वाहिशों को खुद से पहले सुला देता,
हूँ मगर रोज़ सुबह ये मुझसे पहले जाग जाती है।

हर पल में हंसने का
हुनर था जिनके पास,
आज वो रोने लगे हैं तो
कोई बात तो होगी ना !

गुलज़ार शायरी इन हिंदी

दिल तो रोज कहता है मुझे कोई सहारा चाहिए,
फिर दिमाग कहता है क्या धोखा दोबारा चाहिए।

गलती तेरी थी या
मेरी क्या फर्क पड़ता है
रिश्ता तो हमारा था ना।

जब भी ये दिल उदास होता है,
जाने कौन आस पास होता है,
कोई वादा नहीं किया लेकिन
क्यूँ तेरा इंतज़ार रहता है।

कहाँ से लाऊ में इतना सब्र
थोड़े से मिल क्यों नहीं जाते तुम.

सच कहा था
एक फकीर ने मुझसे,
तुझे मोहब्बत तो मिलेगी
पर तड़पाने वाली !

मैं दिया हूँ! मेरी दुश्मनी तो सिर्फ अँधेरे से हैं,
हवा तो बेवजह ही मेरे खिलाफ हैं।

अगर मोहब्बत उससे ना मिले
जिसे आप चाहते हो,
तो मोहब्बत उसको जरूर देना
जो आपका चाहते हैं.

तेरे बिना ज़िन्दगी से कोई शिकवा तो नहीं,
तेरे बिना ज़िन्दगी भी लेकिन ज़िन्दगी तो नहीं।

पल्लू गिर गया,
पर वो घबराई नहीं
उसे यकीन था मेरी
नजर झुकी होगी.

इतना क्यों सिखाये
जा रही हो ज़िन्दगी
हमें कौन सा सदियाँ
गुज़ारनी है यहाँ.

Gulzar Shayari भावनाओं का एक अनमोल खजाना है. उनके शब्द मानव हृदय के जटिल भावों की एक खिड़की खोलते हैं, चाहे वो प्यार की कर्ण-प्रिय धुन हो, रिश्तों की उलझनों की कहानी हो, या फिर ज़िंदगी के अनुभवों पर गहरे विचार, उनके शेर पाठक पर एक ऐसी छाप छोड़ते हैं जो हमेशा के लिए याद रहती है. जैसा कि हम इस सफर को समाप्त करते हैं, हम आपको Gulzar Shayari की दुनिया में और गहराई से उतरने का न्योता देते हैं. उनके मनमोहक शेरों में छिपे हुए जादू को खुद महसूस करें और खो जाएं उनकी शब्दों की खूबसूरती में.

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